जगनेर में आध्यात्मिक हिंदुत्व धर्म सम्मेलन और राष्ट्रभक्ति गायन उत्सव सम्पन्न
दिनभर गूंजे आध्यात्मिक गीत और प्रवचन
कार्यक्रम का शुभारंभ अपराह्न 11 बजे हुआ और यह देर शाम तक चलता रहा। विभिन्न वक्ताओं और कलासाधकों ने मंच से अपने प्रवचनों और गीतों के माध्यम से समाज को आध्यात्मिक और सांस्कृतिक दिशा प्रदान की। सम्मेलन में भजन, प्रवचन और वादन की प्रस्तुतियों ने उपस्थित जनसमूह को भावविभोर कर दिया। इस आयोजन में सुरेश चंद्र दीक्षित, केदार मुखिया, राजेंद्र शुक्ला, गोपाल बघेल, बाबा बालक दास, दीनदयाल शर्मा (ग्राम प्रधान नयागांव भारा), सुरेंद्र सिंह प्रवचनकर्ता घसकटा, राम शरण गुर्जर बरौली, राधेश्याम खेरागढ़ और रामशरण इंदौर जैसे प्रतिष्ठित विद्वानों और कलाकारों ने सहभागिता की। सभी ने अपने प्रवचन, भजन और वादन के जरिए हिंदू संस्कृति और राष्ट्रभक्ति का संदेश दिया।पाठक परिवार द्वारा इस विशेष अवसर पर आगंतुकों और श्रद्धालुओं के लिए भजन के साथ भोजन की भी व्यवस्था की गई। कार्यक्रम में आए हुए सभी प्रतिभागियों, संतों, श्रोताओं और वक्ताओं ने पाठक परिवार की भूरि-भूरि प्रशंसा की और इस आयोजन को सराहनीय बताया।
शहीद क्लब का रहा विशेष सहयोग
कार्यक्रम में शहीद क्लब के सक्रिय सदस्य निशांत रावत ने पूरे आयोजन में विशेष सहयोग प्रदान किया। इसके साथ ही विजय पाठक, प्रिंस रावत और अजय पाठक की भागीदारी उल्लेखनीय रही। शहीद क्लब जगनेर की ओर से भी इस कार्यक्रम में विशेष सहयोग दिया गया। क्लब अध्यक्ष सत्य प्रकाश अग्रवाल, पूर्व कोषाध्यक्ष गिरीश शर्मा और संगठन मंत्री तारा सिंह परमार की भूमिका महत्वपूर्ण रही।मंच संचालन सुरेंद्र परमार और विजय पाठक ने किया। सम्मेलन में लोक संस्कृति विभाग की ओर से कुल 98 प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए। इन प्रतिभागियों में वे कलाकार और विद्वान शामिल रहे जिन्होंने भक्ति गीत, राष्ट्रभक्ति गायन और प्रवचन प्रस्तुत किए।
हिंदू संस्कृति के संवर्धन का संकल्प
सभी वक्ताओं और प्रतिभागियों ने एक स्वर में कहा कि ऐसे आध्यात्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम हिंदू संस्कृति को आगे बढ़ाने के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। इस प्रकार के आयोजन समाज में धार्मिक आस्था को सशक्त बनाने और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने का कार्य करते हैं।सम्मेलन के अंत में आयोजक नरेंद्र पाठक ने सभी आगंतुकों, वक्ताओं, कलाकारों और श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया। उन्होंने आश्वासन दिया कि इसी प्रकार के कार्यक्रम भविष्य में भी आयोजित किए जाते रहेंगे ताकि समाज में संस्कृति और आध्यात्मिकता का वातावरण जीवित रहे।
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